भारत का एक हर्क्युलिस दुर्घटनाग्रस्त हो गया और भारत के ही कुछ लोगों ने इस जहाज में से अपने काम की चीजें निकालना प्रारम्भ कर दिया. पुलिस वाले भी बेचारे क्या करते आखिर लोकतन्त्र में लोगों की इच्छा ही तो सर्वोपरि है. जस्टिस काटजू ने एक बार नब्बे प्रतिशत भारतीयों के लिये एक बात कह दी थी जो बहुत ही अखरी, लेकिन यह घटनायें क्या जस्टिस काटजू को सही सिद्ध नहीं करतीं.
ईश्वर अगर आज साक्षात इस जमीन पर अवतरित होते तो सम्भवत: इस प्रकार के कानूनों को रद्द करा देते जिन कानूनों के तहत साक्ष्य की आवश्यकता न हो. ईशनिन्दा कानून के अन्तर्गत न तो साक्ष्यों की ही जरूरत होती है और न ही झूठा आरोप लगाने वालों को किसी प्रकार के भी दण्ड इत्यादि की कोई व्यवस्था है. पूरे विश्व को इस प्रकार के कानूनों पर एक बार पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.